ऐसे लोगों से संपर्क रखने में खा़सतौर पर मज़ा आता है जो मनुष्यता के तक़ाज़ों को तवज्जो देते हैं. अपने हुनर से किसी को मदद करने का जज़्बा रखते हैं. जो अपने को बताना नहीं चाहते और ख़ामोशी से अपना काम पसंद करना चाहते हैं बनावटी इंसानों से मिलना पसंद नहीं करता. प्रकृति, संगीत, साहित्य, कविता, भाषा और पुस्तकों का साथ बहुत सुहाता है. ज़िंदगी ने बहुत कुछ अनचाहा दिया है लेकिन उस सब के साथ रहने का आनंद लेता हूं. मां से बेबाकी, पिता से सहिष्णुता और पत्नी से हर हाल में खु़श रहने हुनर सीखा है. इस यर्थाथ को जान लिया है कि हर पल आख़री है...इसे पूरा जी लो. दुनिया में ऐसे मनुष्य के रूप में याद किया जाना चाहूंगा जो अपने को भी झोंक कर दूसरों के लिये हमेशा कुछ करता ही रहा. यदि पुर्नजन्म होता है तो अगले जन्म में अंग्रेज़ी, उर्दू और भारतीय शास्त्रीय संगीत में पारंगत होना चाहूंगा. वर्तमान अटल है...जीवन को १०० % जियो...सुनो, गुनो फ़िर बोलो और लिखो.....अपेक्षा होने से ही सारी उलझनें हैं...कल किसने देखा है...आज को जी लो.
See His Blog at: जोग लिखी संजय पटेल की
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2 comments:
जीवन को १००% जियो...सुनो, गुनो फ़िर बोलो और लिखो.....
उत्तम जीवन दर्शन है। यही होना भी चाहिए।
खूबसूरत जज़्बा…
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